World Tribal Day Theme 2024| लुप्त हो रही आदिवासी प्रजातियों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम

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World Tribal Day Theme 2024

World Tribal Day Theme 2024: भारत संस्कृति, परंपराओं, जाति और पंथ में विविधता वाला देश है। भारत देश में ना जाने कितनी ही आदिवासी प्रजातियां भी मौजूद हैं, जो धीरे-धीरे लुप्त होने की कगार पर जा रही हैं। ऐसे में यह बेहद जरुरी है कि आदिवासियों की रक्षा और संरक्षण के लिए कुछ खास कदम उठाए जाएं। तो इसके लिए दुनिया भर में आदिवासी समुदाय के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए एक खास दिन तय किया गया है।

दरअसल, आदिवासी आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने, उनकी रक्षा करने और दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में उनके योगदान और उपलब्धियों को स्वीकार करने के लिए दुनियाभर में 9 अगस्त को ‘विश्व आदिवासी दिवस’ यानी World Tribal Day मनाया जाता है। इस खास दिन का उद्देश्य विश्वभर की आदिवासी जातियों में जागरूकता फैलाने और उनके अधिकारों के संरक्षण को प्रेरित करने का है, जो हजारों आदिवासी प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए बेहद जरुरी है।

World Tribal Day Theme 2024
World Tribal Day Theme 2024

कब हुई थी विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरूआत? (World Tribal Day History)

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ‘विश्व आदिवासी दिवस’ (World Tribal Day Theme 2024) मनाने की शुरूआत साल 1992 में हुई थी। दिसंबर 1992 में, UNGA ने 1993 को विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का संकल्प अपनाया। इसके बाद 23 दिसंबर 1994 को, UNGA ने अपने प्रस्ताव 49/214 में निर्णय लिया कि विश्व के आदिवासी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दशक के दौरान हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाएगा।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के दिन मनाए जाने की घोषणा की गई थी, जो कि वैश्विक स्तर पर आदिवासी जनसंख्या के मानवाधिकारों की रक्षा करना और इन्हें लागू करने के लिए वर्ष 1982 में हुई पहली बैठक से प्रेरित है।

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आदिवासी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष

आपको बता दें कि ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स में यह बताया गया कि 2016 में, लगभग 2,680 ट्राइबल भाषाएं खतरे में थीं और विलुप्त होने की कगार पर थीं। इसलिए, संयुक्त राष्ट्र ने इन भाषाओं के बारे में लोगों को समझाने और जागरूकता फैलाने के लिए 2019 को आदिवासी भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष नामित किया है। ये कदम अंतर्राष्ट्रिीय लेवल पर आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और उन्हें लुप्त होने से बचाने के लिए लिया गया है।

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बता दें कि ‘विश्व आदिवासी दिवस’ पर दुनिया भर के लोगों को इन लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन पर संयुक्त राष्ट्र के संदेश को फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिन लोगों को ट्राइबल लोगों और उनकी भाषाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गौरतलब है कि दुनिया के मूल निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन एक लगातार समस्या बन गई है। ऐसे में ये दिन उनकी इस समस्या को हल करने का अच्छा अवसर है।

यह दिन आदिवासी लोगों को वैश्विक मंच पर अपने दृष्टिकोण और चिंताओं को साझा करने का अवसर प्रदान करता है। साथ हीं इसका उद्देश्य सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और आम जनता के बीच आदिवासी (World Tribal Day Theme 2024) मुद्दों की बेहतर समझ को बढ़ावा देना भी है।

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लुप्त होने की कगार पर आदिवासी भाषाएं

कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो पूरे विश्व में कुल मिलाकर करीब 7 हजार आदिवासी भाषाओं की पहचान की गई है। हालांकि इसमें गौर करने वाली बात तो यह है कि इनमें से 40 फीसदी विलुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इनका उपयोग पढ़ाई, संचार, सरकारी कामकाज और रोजगार के क्षेत्रों में हुआ ही नहीं और आदिवासी युवा आर्थिक रूप से उन्नत होने के लिए प्रचलित भाषाओं को अपनाते गए। ऐसे में बढ़ते आधुनिककरण की वजह से आदिवासी भाषाएं लुप्त होती जा रही हैं।

UNESCO के आंकड़ों के अनुसार, आदिवासी (World Tribal Day Theme 2024) लोग दुनिया के सभी क्षेत्रों में रहते हैं और वैश्विक भूमि क्षेत्र के लगभग 22% हिस्से पर कब्जा करते हैं. दुनिया भर में कम से कम 370-500 मिलियन आदिवासी लोग 7,000 भाषाओं और 5,000 विभिन्न संस्कृतियों के साथ, दुनिया की सांस्कृतिक विविधता के अधिक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं

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