Partition Horrors Remembrance Day Theme| जानें आखिर क्यों मनाया जाता है विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, क्या है इसका इतिहास
Partition Horrors Remembrance Day Theme: 14 अगस्त 1947…भारतीय इतिहास का वो दिन जब, जहां एक तरफ लाखों-करोड़ों लोग 200 साल बाद अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने की खुशी मनाने के लिए तैयार थे, तो वहीं दूसरी तरफ लाखों लोगों को विभाजन का दंश झेलना पड़ा और अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना पड़ा। अंग्रेजों ने हमारे देश को छोड़ तो सही, लेकिन इसकी कीमत हमें देश के 2 टुकड़े करके चुकानी पड़ी।
अंग्रेजों की मंशा हमेशा से ही थी कि भारत के दो टुकड़े कर दिए जाएं और वे अपनी मंशा में कामयाब भी रहे। ऐसे में आजादी के साथ हीं भारत के दो टुकड़े हो गए और पाकिस्तान के नाम से हीं दूसरे देश का जन्म हुआ, जो कभी भारत का हीं हिस्सा हुआ करता था। इस दिन लाखों लोगों को अपना एक देश छोड़कर दूसरे देश जाने का दर्द झेलना पड़ा था और इसी को याद करने के लिए हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) मनाया जाता है।
इतिहास और महत्व (Partition Horrors Remembrance Day Theme)
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2021 में 14 अगस्त को हर साल विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। ये दिन हमें उन लोगों की याद दिलाता है, जिन्होंने विभाजन के दौरान आजादी के बावजूद अपनी मौत से इस आजादी की कीमत चुकाई। विभाजन ने कई लोगों की जिंदगी ली और साथ हीं कई महिलाओं की आबरू लूट कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। ये दिवस हमें उन्हीं लोगों की याद दिलाता है और इस दिन सभी लोग प्रार्थना करते हैं कि दोबारा कभी किसी को भी ये दर्द ना झेलना पड़े।
भारत को चुकानी पड़ी आजादी की महंगी कीमत
14 अगस्त 1947 की तारीख को भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लोग कभी नहीं भुला सकते। इसके पहले दोनों देशों के लाखों-करोड़ों लोग एक साथ रहते थे, लेकिन जहां एक तरफ देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति मिल रही थी तो दूसरी तरफ इसकी कीमत देश के विभाजन के रूप में चुकानी पड़ी। इसका नतीजा ये रहा कि लाखोंं लोग बेघर हो गए और उन्हें रातों-रात पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस दौरान भयानक दंगे भी हुए और हजारों को इसकी कीमत अपनी जान देकर भी चुकानी पड़ी। ऐसे में आजादी के बावजूद कई लोग उस आजादी का आनंद नहीं उठा सकें, क्योंकि वो विभाजन (Partition Horrors Remembrance Day Theme) के बाद आपसी दुश्मनी की बली चढ़ गए। नफरत और हिंसा की आग लोगों के बीच कुछ इस कदर भड़की की उन्होंने ना तो महिलाओं को देखा और ना हीं बच्चों को। बस जो इस नफरत और हिंसा के तूफान में आया अपनी जान गंवा बैठा।
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लाशों से भरी ट्रेनों का दर्दनाक मंजर
विभाजन के समय लोगों ने रेलगाड़ियों का भी व्यापक रूप से उपयोग किया था। इससे जुड़ी कई कहानियां हैं, जो आज भी लोगों के रोंगटे खड़ी कर देती हैं। कहा जाता है कि विभाजन के दौरान हिंसा और मौत का खेल कई दिनों तक चला था और इस दौरान लोग रेलगाड़ियों के माध्यम से पलायन करते थे। ऐसे में नफरत की आग में मदहोश लोगों ने ट्रेनों को भी मौत का डेरा बना दिया था।
रिपोर्ट्स का कहना है कि उस दौरान जब ट्रेन अपने गंतव्य तक पहुंचती थी तो केवल लाशें और घायल लोग ही बचते थे। भारत और पाकिस्तान विभाजन (Partition Horrors Remembrance Day Theme) के बाद भी दोनों देशों के बीच आपसी सहमति से रेल सुविधा को जारी रखा गया था, ताकि इच्छुक लोग आसानी से पलायन कर सकें। इसके तहत हर दिन पांच-छह ट्रेनें दोनों ओर से चलती थीं, लेकिन हिंसा की आग में ट्रेनों को मौत का नया कब्रिस्तान बना दिया था।
महिलाओं को हुई सबसे ज्यादा क्षति
विभाजन का दर्द वैसे तो जवान, बूढे से लेकर बच्चों तक को झेलना पड़ा था, लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा पीड़ा महिलाओं को झेलनी पड़ी। दरअसल, विभाजन और हिंसा की आड़ में हजारों महिलाओं को ना सिर्फ मारा गया, बल्कि उनका अपहरण कर उनके साथ दुष्कर्म किया गया। इसके अलावा कुछ महिलाओं को अपना धर्म बदलने और शायद अपने परिवार का वध करने वाले लोगों से शादी करने के लिए मजबूर किया गया।
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सबसे ज्यादा भयावह बात तो यह रही कि लोगों ने अपने घर की महिलाओं को दुष्कर्म और अपहरण से बचाने के लिए खुद हीं मारना शुरू कर दिया था। अपने सम्मान (Partition Horrors Remembrance Day Theme) को बचाने के लिए लोग खुद हीं अपने घर और समाज की महिलाओं को मौत के घाट उतारने लगे थे। रिपोर्ट्स की मानें तो उस समय भारत सरकार ने केवल 33 हजार महिलाओं के अपहरण की सूचना दी, जबकि पाकिस्तान सरकार ने 50 हजार महिलाओं के अपहरण का अनुमान लगाया था।
पलायन के बाद की स्थिति
जानकारी के लिए बता दें कि पलायन के बावजूद भी लोगों को ना सिर्फ हिंसा और नफरत बल्कि प्रचंड गर्मी, मूसलाधार बारिश, मिलों तक का पैदल सफर और साथ हीं भुखमरी की दिक्कतों का समना करना पड़ा। इस दौरान कई लोगों ने थकावट, भुखमरी और बीमारी के चलते दम तोड़ दिया। विभाजन की विभीषिका (Partition Horrors Remembrance Day Theme) में मारे गए लोगों को आंकड़ा पांच लाख बताया जाता है, लेकिन अनुमानित आंकड़ा पांच से 10 लाख के बीच है।
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