International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict

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International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict

International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict: हर साल 6 नवंबर को दुनिया भर में ‘युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में पर्यावरण के शोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict) सेलिब्रेट किया जाता है, जो यु्द्ध के दौरान पर्यावरण की रक्षा और शांति बनाए रखने पर जोर देता हैं। यह दिवस इसलिए जरुरी है, क्योंकि यूद्ध से ना केवल लोग या राष्ट्रों को प्रभावित होना पड़ता है, बल्कि इससे हमारे पर्यावरण और वन्य जीव को भी काफी नुकसान का सामना करना पड़ता हैं।

वर्तमान में होने वाली इन क्षतियों से भविष्य की पीढ़ियों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ने का खतरा दिन ब दिन बढता जाता है। ऐसे में इन परिणामों को समझना और उनके बारे में जागरूकता बढ़ाना बेहद जरुरी है और इसीलिए हर साल 6 नवंबर को इस लक्ष्य के साथ ‘युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में पर्यावरण के शोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया जाता है।

International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict
International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict

कब हुई थी इस दिन की स्थापना? (International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict)

आपको बता दें कि ‘युद्ध और सशस्त्र संघर्ष में पर्यावरण के शोषण को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ की स्थापना साल 2001 में की गई थी, जिसका उद्देश्य युद्ध से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करना था। जाहिर तौर पर मुठभेड़ ने हमेशा मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है।

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हालांकि इसके साथ हीं युद्ध से होने वाले प्रभाव के कारण पर्यावरण को भी काफी छति पहुंचती है। और यह चिंता का विषय है, क्योंकि पर्यावरणीय स्तर पर युद्ध के बाद का प्रभाव लड़ाई समाप्त होने के लंबे समय बाद भी पीढ़ियों को प्रभावित करता है।

International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict
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पर्यावरण शोषण से संबंधित प्रमुख मुद्दे

वनों की कटाई और जैव प्रकार का नुकसान

युद्ध सैन्य लाभ या संसाधन लाभ के लिए बड़ी मात्रा में वनों के विनाश का कारण बन सकता है। पौधों और जानवरों की प्रजातियों का नुकसान हमारे पर्यावरण को खतरे में डालता है और अंत में समुदायों के लिए युद्दों की तबाही के बाद उबर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

जल प्रदूषण

सशस्त्र लड़ाई में अक्सर तेल रिसाव, रासायनिक हथियारों और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे के कारण जल निकाय दूषित हो जाते हैं।प्रदूषित जल स्रोत मनुष्यों और वन्यजीवों दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं।

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भूमि को नुकसान

युद्ध के दौरान भारी मशीनरी और हथियारों के इस्तेमाल से भूमि की प्राकृतिक प्रजनन की शक्ति समाप्त हो सकती है, जिससे युद्ध समाप्ति के बाद कृषि के लिए काफी मुश्किल हो सकता हैं। इससे प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य असुरक्षा और आर्थिक चुनौतियां दा होती हैं।

वायु नुकसान

विस्फोट, बमबारी और सेना के संसाधनों और अन्य रसायनों के जलने से हवा में हानिकारक रसायन निकल सकते हैं। लंबे समय तक वायु प्रदूषण से आस-पास की आबादी में सांस संबंधी बिमारियां हो सकती हैं।

संघर्ष क्षेत्रों में पर्यावरण शोषण को रोकने के तरीके

अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को मजबूत करना

युद्ध के दौरान पर्यावरण के साथ होने वाले नुकसान के लिए दंडनीय अपराध बनाने वाले कानून बनाना और लागू करना ऐसी कार्रवाइयों को रोक सकता है।

शांतिपूर्ण संसाधन प्रबंधन

संघर्ष को बढ़ने से रोकने के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर विवादों को कूटनीतिक रूप से प्रबंधित किया जाना चाहिए। ऐसा करना युद्ध के दौरान पर्यावरण और वन्य जीवन को बचाने के लिए एक अहम कार्य साबित हो सकता है।

सहयोगात्मक संरक्षण प्रयास

देश जल और वन जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों की रक्षा करने वाली संरक्षण परियोजनाओं पर एक साथ काम कर सकते हैं, जिससे इन आवश्यक आवश्यकताओं पर संघर्ष का जोखिम कम हो सकता है।

International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict
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कैसे दे सकते हैं योगदान?

गौरतलब है कि युद्ध (International Day for Preventing the Exploitation of the Environment in War and Armed Conflict) के दौरान कई देश, कई शहर और कई इलाके भयंकार तबाही का सामना करते हैं, जिसके बाद वहां का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। लोगों के पास रहने को जगह नहीं होती, खाने को खाना नहीं होता, पीने को शुद्ध पानी तक नहीं होता। ऐसे में हमें जिस प्रकार भी हो सकते उनकी मदद के लिए एकजुट होकर कदम बढ़ाना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि आखिर हम उनके लिए क्या कर सकते हैं –

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  • युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त हुए पर्यावरण के पुनर्निर्माण के लिए काम करने वाली संस्थाओं का समर्थन कर हम अपना उन जगहों की मदद कर सकतें है।
  • युद्ध या लड़ाई के दौरान और बाद में पर्यावरण की रक्षा के महत्व के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता बढ़ाकर हम पर्यावरण को बचाने में अहम योगदान दर्ज कर सकते हैं।
  • वैश्विक संघर्षों को संबोधित करते समय पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव पर विचार करने वाली नीतियों की वकालत करके भी हम पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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