National Forest Martyrs Day 2024| आखिर क्यों मनाया जाता है ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’? क्या है इसका इतिहास
National Forest Martyrs Day 2024: भारत में हर साल 11 सितंबर को ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’ (National Forest Martyrs Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य उन वीरों को याद करना और श्रद्धांजलि देना है, जिन्होंने भारत के हरे-भरे जंगलों, वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। इसके साथ हीं यह दिन हमें हमारे पर्यावरण संरक्षण की महत्ता और इसको सुरक्षित रखने के लिए हमारी जिम्मेदारी की भी याद दिलाता है।
‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’ (National Forest Martyrs Day 2024) बिश्नोई समुदाय के उन वनकर्मियों के साहस और बलिदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की और अपने खून से पेड़ों की रक्षा की। ऐसे में आइए जानते हैं इसके इतिहास और महत्व के बारे में –
इतिहास (National Forest Martyrs Day History)
आपको बता दें कि ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’ (National Forest Martyrs Day 2024) के इतिहास की कहानी बलिदान, पर्यावरण चेतना और प्रकृति की रक्षा के लिए अटूट समर्पण के धागों से गहराई से जुड़ी हुई है। ये कहानी 11 सितंबर 1730 की एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा हुआ है, जिसे खेजड़ली नरसंहार के नाम से जाना जाता है। इस दिन को और इस दिन वनों के बचाव में जिन लोगों ने अपने प्राण गवां दिए उनको भूल पाना संभव नहीं है।
ये भी पढ़ें: भारत की 10 भूतिया जगह जहां रात को भूलकर भी नहीं जाते लोग
दरअसल, 11 सितंबर 1730 को राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में बिश्नोई समुदाय ने पेड़ों की कटाई के विरोध में अपने प्राणों की आहुति दी थी। उस समय राजस्थान के जोधपुर मेंके महाराजा अभय सिंह ने अपने सैनिकों को ईंधन और लकड़ी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पेड़ों को काटने का हुकम दिया था और वे सभी पेड़ों की कटाई के लिए निकल पड़े। इस दौरान बिश्नोई समुदाय, जिनके धर्म में पेड़ों को माता का दर्जा दिया जाता है, उन्हें इस बात की भनक लगी और उन्होंने पेड़ों को काटने का विरोध किया।
खेजड़ली नरसंहार
इस दौरान बिश्नोई समुदाय के विरोध के बावजूद सैनिकों ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी और रुके नहीं। तभी बिश्नोई समाज की महिला अमृता देवी पेड़ों की रक्षा के लिए आगे बढ़ीं और सैनिकों के हाथों मारी गईं। उनके बलिदान ने बिश्नोई समाज के अन्य लोगों के दिलों में आग भर दी और गाँव के अन्य लोगों ने भी पेड़ों को बचाने के लिए सैनिकों का विरोध किया।
रिपोर्ट्स की मानें तो इस दौरान सैनिकों से संघर्ष में बिश्नोई समाज (National Forest Martyrs Day 2024) के लगभग 363 लोगों ने अपनी जान की आहुति दे दी। ब महाराजा अभय सिंह को इस घटना की खबर मिली तो उन्होंने तुरंत पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी और भविष्य में बिश्नोई समुदाय के गांवों में पेड़ों को नहीं काटने का आदेश जारी किया।
बिश्नोई समाज के लोग आज भी पेड़ों और वनों के रक्षक के रुप में जाने जाते हैं। वहीं खेजड़ली नरसंहार में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने साल 2013 में आधिकारिक तौर पर 11 सितंबर को ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’ (National Forest Martyrs Day 2024) मनाने की घोषणा कर दी।
महत्व (National Forest Martyrs Day Importance)
- यह दिन हमें खेजड़ली नरसंहार में अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन वनकर्मियों (National Forest Martyrs Day 2024) की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने प्राण और खून से वनों की रक्षा की।
- ‘राष्ट्रीय वन शहीद दिवस’ हमें पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देता है।
- वहीं यह दिवस वन संरक्षण के महत्व और इसकी रक्षा करने वालों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।
- यह दिन हमें अपनी प्राकृतिक विरासत की रक्षा करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी की याद दिलाता है।
- इसके साथ हीं यह दिवस हमें यह भी सिखाता है कि प्राकृतिक संसाधन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी रक्षा करना हमारे लिए कितना आवश्यक है।
National Forest Martyrs Day 2024 Quotes
- “ब्रह्मांड में जाने का सबसे स्पष्ट रास्ता जंगल से होकर जाता है।”
- “प्रकृति जल्दी नहीं करती, फिर भी सब कुछ पूरा हो जाता है।”
- “यदि हम पर्यावरण को नष्ट करेंगे तो हमारा समाज नहीं बचेगा।”
- आओ बच्चो तुम्हे बताऊँ, बात मै एक ज्ञान की, पेड़ – पौधे ही करते हैं,रक्षा अपनी प्राण की।
- पेड़ – पौधे मत करो नष्ट, साँस लेने में होगा कष्ट।
- पेड़ लगाओ देश बचाओ, पेड़ लगाओ जीवन बचाओ, जीवन खुश हाल बनाओ।