Jatinga Valley Mystery| पक्षियों की रहस्यमयी आत्महत्या के लिए प्रसिद्ध है भारत की ये जगह, हर साल पक्षी झुंड में जाकर करते हैं सुसाइड
Jatinga Valley Mystery: आपने भारत में स्थित कई भूतिया जगहों के बारे में तो सुना हीं होगा, जहां लोग रात के समय जाने से भी डरते हैं। हालांकि आज हम आपको भारत की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पक्षियों की रहस्यमयी आत्महत्या के लिए प्रसिद्ध है। सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा, लेकिन ये बात 10 प्रतिशत सच है। दरअसल, असम में हीं एक घाटी है, जहां हर साल सैकड़ों पक्षी झुंड में आकर आत्महत्या कर लेते हैं।
इस घाटी का नाम है जतिंगा घाटी (Jatinga Valley Mystery), जहां न केवल स्थानीय पक्षी, बल्कि प्रवासी पक्षी पर अगर इस दौरान पहुंच जाएं तो वे भी खुदकुशी कर लेते हैं। हर साल देर से मानसून के मौसम में असम के जतिंगा घाटी में ये अस्पष्ट घटनाएँ होती हैं, जिसका सही जवाब आज भी किसी के पास नहीं है। अब आपके भी मन में ये सवाल जरूर खड़ा हो रहा होगा कि आखिर ऐसा कुछ कैसे हो सकता है। तो आइए जानते हैं इस रहस्य की सच्चाई –
पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक महत्व के लिए मशहूर है असम
दरअसल, हम बात कर रहे हैं अपने पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाने जाने वाले राज्य असम की। यह राज्य पराक्रमी अहोम राजवंश की समृद्ध विरासत का दावा करता है, जिसने मुगलों को 17 बार सफलतापूर्वक हराया था। इसके अलावा भी असम एक सींग वाले गैंडे और प्रतिष्ठित कामरूप कामाख्या मंदिर जैसी कई और चीजों के लिए काफी मशहूर है, जो लोगों के लिए इस राज्य को एक अहम पर्यटन स्थल बनाता है।
जतिंगा घाटी का रहस्य (Jatinga Valley Mystery)
भले हीं असम अपने पर्यटन स्थलों के लिए मशहूर हो, लेकिन असम का एक रहस्यमयी स्थान भी जहां पक्षी ‘सामूहिक आत्महत्या’ कर लेते हैं। आपको बता दें कि असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी (Jatinga Valley) को पक्षियों का सुसाइड पॉइंट कहा जाता है। हर साल सितंबर की शुरुआत के साथ ही आमतौर पर छिपा रहने वाला जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण चर्चा में आ जाता है।
रिपोर्ट्स की मानें तो आमतौर पर ये घटनाएं हर साल सितंबर और नवंबर के बीच शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक के बीच होती हैं। इस बारे में वैज्ञानिकों ने काफी पड़ताल की है कि आखिर जतिंगा घाटी (Jatinga Valley Mystery) में ऐसा क्या है जिसके कारण हर साल एक खास मौसम और समय के आने पर पक्षी खुद हीं आत्महत्या करने लगते हैं।
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क्या Jatinga Valley Mystery है भूतिया?
जतिंगा घाटी (Jatinga Valley Mystery) को लेकर असम के स्थानिय लोगों का कहना है कि ये घाटी भूतिया है और रहस्यमयी ताकतों की वजह से हीं यहां पक्षियों की मौत होती है। कहा जाता है कि यहां कुछ रहस्यमयी ताकतों का निवास है, जो पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और उनकी जान ले लेते हैं। ऐसा इक्के-दुक्के नहीं, बल्कि सितंबर के समय में हर साल हजारों पक्षियों के साथ होता है, जो सच में चिंता का विषय है।
इंसानों के साथ आत्महत्या की घटनाएं आम हैं, जो किसी ना किसी परेशानी से तंग आकर गाड़ी से टकराकर या इमारत से कूदकर जान दे देते हैं। हालांकि पक्षियों के साथ ये घटना कुछ फिट नहीं बैठती। स्थानीय लोगों की मानें तो सितंबर से दिसंबर माह के बीच शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक पक्षी तेजी से उड़ते हुए इमारतों या ऊंचे पेड़ों से जान-बूझकर टकरा जाते हैं और तुरंत ही उनकी मौत हो जाती है।
घटना के बाद पक्षियों पर इलाज का भी नहीं होता असर
वहां के स्थानीय लोग दावा करते हैं कि सितंबर से दिसंबर माह के बीच यदि किसी पक्षी के साथ घटना हो जाती है और वो जिंदा बच भी जाए, तो उसे चाहकर भी किसी इलाज से बचाया नहीं जा सकता है। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि बहुत बार इमारतों से टकराकर घायल हुए पक्षियों का उपचार किया गया और उन्हें खाना खिलाने की भी कोशिश की गई।
हालांकि ये तरीका भी बेअसर रही, क्योंकि ऐसे पक्षियों ने खाना खाने से इनकार कर दिया और इलाज पर भी उनके शरीर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अंतत: तमाम कोशिशों (Jatinga Valley Mystery) के बावजूद उन पक्षियों की मृत्यू हो गई, जो सच में विश्वास के परे है।
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जतिंगा घाटी के रहस्य पर क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
जतिंगा घाटी के रहस्य (Jatinga Valley Mystery) को लेकर पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि दुर्लभ घटना हाई लेवल चुंबकीय ताकत यानी मैग्नेटिक फील्ड की वजह से होती है। उनका कहना है कि जब नम और कोहरे-भरे मौसम में हवाएं तेजी से बहती हैं तो रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आसपास उड़ने लगते हैं. रोशनी के कारण उन्हें दिखाई नहीं देता और तेजी से उड़ते हुए वे किसी इमारत या पेड़ या वाहनों से टकरा जाते हैं।
अब तक अनसुलक्षा है जटिंगा घाटी का रहस्य
आपको बता दें कि वहां के स्थानिय लोगों को कहना है कि पक्षियों के साथ ये घटना केवल और केवल जतिंगा गांव (Jatinga Valley Mystery) में ही घटती है। यहां तक की वहां से दो किलोमीटर दूर दूसरे गांवों में भी पक्षियों के साथ ऐसा नहीं होता है। गांववाले इसके पीछे किसी रहस्यमयी ताकत का हाथ मानते हैं। वहां मान्यता है कि इस दौरान हवाओं में कोई पारलौकिक ताकत आ जाती है जो पक्षियों से ऐसा करवाती है।
पक्षियों के साथ होने वाली इस घटना के बाद सितंबर से दिसंबर के बीच लोग भी शाम के समय वहां बाहर निकलने से डरते हैं। उनका मानना है कि इस दौरान इंसानी आबादी का भी बाहर आना खतरनाक हो सकता है। ऐसे में सिंतबर से दिसंबर के बीच शाम के समय वहां सब एकदम सुनसान हो जाता है।