
हर साल 1 जुलाई को भारत में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स डे यानी CA Day मनाया जाता है। ये दिन उन professionals को समर्पित है जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं चार्टर्ड अकाउंटेंट्स। अगर आप कभी सोचते हो कि सरकार की कमाई और खर्चों का हिसाब कौन रखता है, या बड़े-बड़े बिजनेस अपने पैसों की प्लानिंग कैसे करते हैं तो इसके पीछे अक्सर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की मेहनत होती है।
CA बनना आसान नहीं होता, लेकिन एक बार जब कोई इस प्रोफेशन में आता है, तो उसका काम देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सीधा योगदान देता है। इसी योगदान को सलाम करने के लिए हर साल 1 जुलाई को CA Day मनाया जाता है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स डे का इतिहास
यह कहानी उस समय की है जब भारत ने आज़ादी के बाद अपने अलग-अलग प्रोफेशनल सेक्टर्स को मजबूत करने की शुरुआत की थी। 1 जुलाई 1949 को Indian Parliament ने एक बहुत अहम कदम उठाया Chartered Accountants Act, 1949 को पास किया। इसी के साथ भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) का जन्म हुआ।
इससे पहले तक देश में अकाउंटिंग प्रोफेशन को लेकर कोई तय नियम या संस्था नहीं थी। कोई भी खुद को अकाउंटेंट कह सकता था, चाहे उसके पास जरूरी qualifications हों या न हों। लेकिन ICAI की स्थापना ने पूरे सिस्टम को एक प्रोफेशनल पहचान दी। अब चार्टर्ड अकाउंटेंट्स बनने के लिए एक तय रास्ता और सख्त मानक तय कर दिए गए।
ICAI न सिर्फ students को CA की पढ़ाई में guide करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि जो लोग इस प्रोफेशन में हैं, वो ईमानदारी और प्रोफेशनल ethics का पालन करें। आज ICAI सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में respected प्रोफेशनल bodies में से एक है।

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स दिवस का महत्व
चार्टर्ड अकाउंटेंट्स मनाने के पीछे की वजह सिर्फ एक तारीख नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी कहानी है। ये दिन उन लोगों को डेडिकेट किया गया है जो हमारी इकॉनमी के साइलेंट हीरोज हैं हमारे चार्टर्ड अकाउंटेंट्स। इन प्रोफेशनल्स का काम सिर्फ बैलेंस शीट्स बनाना या टैक्स भरवाना नहीं है, ये तो देश की फाइनेंशियल हेल्थ को बनाए रखने वाले असली खिलाड़ी होते हैं। चाहे बजट की प्लानिंग हो, किसी कंपनी की ऑडिटिंग हो या फिर टैक्स में पारदर्शिता लानी हो हर कदम पर एक CA की अहम भूमिका होती है।
ICAI यानी Institute of Chartered Accountants of India ने इस प्रोफेशन को जिस ईमानदारी और स्टैंडर्ड्स से आगे बढ़ाया है, वो काबिल-ए-तारीफ है। यही वजह है कि आज दुनिया भर में इंडियन CAs की डिमांड है। CA Day का मकसद सिर्फ जश्न मनाना नहीं, बल्कि इस प्रोफेशन के उन नैतिक मानकों और प्रोफेशनल ग्रोथ की जरूरत को भी समझना है जो एक बेहतर फाइनेंशियल सिस्टम की नींव रखते हैं।
आज जब देश डिजिटल इकॉनमी, स्टार्टअप्स और फाइनेंशियल इनक्लूजन की तरफ बढ़ रहा है, तो ऐसे में CA का रोल और भी ज़्यादा क्रिटिकल हो गया है। ये लोग ना सिर्फ करप्शन को रोकते हैं बल्कि इन्वेस्टमेंट और बिजनेस ट्रस्ट को भी बढ़ावा देते हैं। आजादी से पहले जब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत थी, तब यहां की फाइनेंशियल व्यवस्था भी उन्हीं के बनाए कानूनों के हिसाब से चलती थी। उस वक्त “कंपनी अधिनियम” के तहत सरकारी लेखा रखा जाता था।
धीरे-धीरे जैसे देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ीं, वैसे ही British सरकार ने प्रोफेशनल अकाउंटिंग को लेकर एक डिप्लोमा कोर्स शुरू किया। जो लोग ये कोर्स पूरा कर लेते थे, उन्हें पूरे भारत में ऑडिटर यानी लेखा परीक्षक की तरह काम करने की मंज़ूरी मिल जाती थी।
फिर 1930 में सरकार ने फैसला किया कि सभी योग्य अकाउंटेंट्स का एक आधिकारिक रजिस्टर तैयार किया जाएगा, जिसे नाम दिया गया “अकाउंटेंट्स का रजिस्टर”। इसमें जिनका नाम दर्ज होता था, उन्हें “पंजीकृत लेखाकार” कहा जाता था। लेकिन तब तक कोई ठोस नियम-कानून नहीं थे, जिससे अकाउंटिंग प्रोफेशन में कई बार अनियमितताएं सामने आती थीं।
इसी वजह से 1948 में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई, ताकि इस क्षेत्र की हालत पर गौर किया जा सके। इस समिति ने सुझाव दिया कि एक अलग, स्वतंत्र और प्रोफेशनल संस्था होनी चाहिए जो पूरे लेखा पेशे को रेगुलेट करे। इस सलाह के आधार पर 1949 में भारत सरकार ने “चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिनियम” पास किया और इसके साथ ही एक नई शुरुआत हुई भारत में प्रोफेशनल अकाउंटिंग की।

CA की भूमिका
जब से ICAI यानी Institute of Chartered Accountants of India की शुरुआत हुई है, तब से लेकर आज तक CA की दुनिया में काफी बदलाव आ चुके हैं। पहले CA को सिर्फ अकाउंट्स देखने वाले या ऑडिट करने वाले प्रोफेशनल के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब उनकी जिम्मेदारियां और दायरा दोनों काफी बढ़ चुके हैं।
आज के समय में एक CA सिर्फ किताबों में हिसाब-किताब तक सीमित नहीं है। अब वो टैक्स की प्लानिंग करते हैं, कंपनियों को मैनेजमेंट से जुड़ी सलाह देते हैं, फोरेंसिक अकाउंटिंग में मदद करते हैं और फाइनेंशियल प्लानिंग से लेकर कॉरपोरेट गवर्नेंस तक हर चीज में एक्टिव रोल निभाते हैं।
कई कंपनियों में तो CA को टॉप लेवल डिसीजन मेकिंग का हिस्सा भी बनाया जाता है, क्योंकि उनके पास बिजनेस को financially stable रखने की समझ होती है। वो सिर्फ सलाहकार नहीं बल्कि ऐसे स्ट्रैटेजिक पार्टनर बन चुके हैं, जो कंपनी की ग्रोथ में सीधा योगदान देते हैं।