Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024| पूर्व दिवंगत पीएम की डेथ एनिवर्सरी पर जानें उनसे जुड़ी ये खास बातें
Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee), एक ऐसी शक्सियत, जो भले हीं आज हमारे साथ इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी वाणी, उनका जीवन दर्शन सभी भारतवासियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उनका ओजस्वी, तेजस्वी और यशस्वी व्यक्तित्व सदा देश के लोगों का मार्गदर्शन करता रहेगा। उनकी कही कई सारी बातें आज और आने वाले भविष्य में युवाओं के लिए सदैवा प्रेरणा का काम करती रहेंगी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024) का व्यक्तित्व शब्दों में बयां करना बेहद मुश्किल है। उन्हें एक ऐसे नेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने विपरीत विचारधारा के लोगों को भी साथ लिया और गठबंधन सरकार बनाई। वह विरोधियों के बीच अपनी इसी आदत के चलते लोकप्रिय थे। विपक्षी पार्टियों के नेताओं की वह आलोचना तो करते ही थे साथ ही अपनी आलोचना सुनने का भी साहस रखते थे। इसके बावजूद वो सदैव निडरता और प्रसन्नता के साथ अपनी जिंदगी जीते थे। कुछ ऐसे व्यक्ति थे हमारे पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न ‘अटल बिहारी वाजपेयी’।
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Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024: रोचक तथ्य
- अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 ई० को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था।
- वाजपेयी जी के पिता का नाम था श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी और उनकी माता का नाम कृष्णा देवी था। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर से हीं पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की उपाधि और कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एम.ए की डिग्री ली थी।
- बहुत कम ही लोगों को पता होगा कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी ((Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024)) ने लॉ की पढ़ाई अपने पिता के साथ कानपुर के डीएवी कॉलेज से की थी और इस दौरान वो अपने पिता के साथ हीं हॉस्टल में रहते भी थे और उन्होंने लॉ की डिग्री भी अपने पिता के साथ हीं ली थी।
- आपको बता दें कि पेशे से पत्रकार और शौक से कवि और राजनीति के ‘युग पुरुष’ अटल बिहारी वाजपेयी जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में अपना राजनैतिक जीवन शुरू किया था।
- उन्होंने साल 1942 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरू हुए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भी शिरकत की थी और इस दौरान वो 24 दिन तक कारावास में रहे थे।
- वाजपेयी जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की और अनेक पुस्तकों की रचना की थी और उन्हें सदैव हीं कविताओं से खास लगाव रहा था। वाजपेयी जी हमेशा एक बार कहा करते थे – “मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कुछ से क्यों डरूं?”
- उनके राजनीतिक करियर की बात की जाए तो अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 16 मई 1996 को देश के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी, लेकिन संख्या बल के आगे उन्हें कुछ समय में हीं इस पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद 19 मार्च 1998 को उन्होंने दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी और फिर 13 अक्टूबर 1999 को वाजपेयी जी शपथ लेकर तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने थे।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024) ने हिंदी को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कई प्रयास किए थे। उनकी खुद की हिंदी भाषा शैली में मजबूत पकड़ थी। विदेश मंत्री के रुप में वो संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण देने वाले देश के प्रथम नेता थे।
- इतना हीं नहीं बल्कि दुनिया को भारत की परमाणु शक्ति का एहसास दिलाने वाले भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ही थे। अनेक अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बाद भी उन्होंने पोखरण परमाणु परीक्षण को करवाया और भारत को एक परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनाया।
- हिंदी के लिए उनके प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में दुनिया को संबोधित किया था। यहां तक कि उनके द्वारा हिंदी के चुने हुए शब्दों का ही असर था कि यूएन के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर वाजपेयी जी के लिए तालियां बजाईं थीं।
- बता दें कि साल 2000 में वाजपेयी जी का स्वास्थ्य बिगड़ना शुरू हो गया था। साल 2001 में उनके घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई थी, जिसके बाद वो कुछ साल ठीक रहे थे। हालांकि 2009 में अचानक हीं स्ट्रोक आने के बाद उन्हें बातचीत करने में दिक्कत आने लगी थी। इसके बाद वो काफी लंबे समय तक बीमार रहे और आखिरकार 16 अगस्त 2018 (Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary 2024) को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।