हर साल 12 जुलाई को दुनिया भर में मलाला दिवस मनाया जाता है। ये दिन खासतौर पर लड़कियों की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली मलाला यूसुफजई के योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है। मलाला यूसुफजई पाकिस्तान की रहने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने बहुत कम उम्र में लड़कियों की शिक्षा के हक में आवाज उठाई। आपको जानकर हैरानी होगी कि मलाला दुनिया की सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता भी हैं।
12 जुलाई सिर्फ मलाला दिवस ही नहीं, बल्कि मलाला का जन्मदिन भी है। साल 2013 में पहली बार ये दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया गया था। इसकी शुरुआत उस घटना के बाद हुई, जिसने मलाला को दुनियाभर में पहचान दिलाई।

अंतर्राष्ट्रीय मलाला दिवस का इतिहास
मलाला यूसुफजई का नाम आपने जरूर सुना होगा। वो वही बहादुर लड़की हैं जिन्होंने दुनिया को ये सिखाया कि शिक्षा हर बच्चे का हक है, चाहे वो लड़का हो या लड़की। अब जानते हैं, अंतर्राष्ट्रीय मलाला दिवस क्यों मनाया जाता है। दरअसल, 12 जुलाई मलाला यूसुफजई का जन्मदिन है।
इसी दिन को खास बनाते हुए, संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने इसे अंतर्राष्ट्रीय मलाला दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया। सबसे पहली बार ये दिन 12 जुलाई 2013 को मनाया गया था। इसके पीछे की कहानी बहुत ही भावुक और प्रेरणादायक है। पाकिस्तान में तालिबान जैसे आतंकी संगठन ने लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाने की कोशिश की थी।
मलाला ने इसके खिलाफ खुलकर आवाज उठाई। इसी वजह से अक्टूबर 2012 में तालिबान ने मलाला पर हमला कर दिया। लेकिन किस्मत और उनकी हिम्मत ने उनका साथ दिया, वो बच गईं। इसके बाद मलाला ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उन्होंने पूरी दुनिया में लड़कियों की शिक्षा के लिए मुहिम छेड़ दी। उनकी इसी बहादुरी और योगदान को सम्मान देने के लिए 2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई को आधिकारिक तौर पर “अंतर्राष्ट्रीय मलाला दिवस” घोषित किया।

अंतर्राष्ट्रीय मलाला दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय मलाला दिवस के मौके पर दुनियाभर में लोग लड़कियों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करते हैं और उन्हें सशक्त बनने के लिए प्रेरित करते हैं। स्कूल, कॉलेज, सामाजिक संगठन और कई बड़े लीडर्स इस दिन को खास बनाने के लिए कार्यक्रम करते हैं, ताकि हर किसी तक ये संदेश पहुंचे कि शिक्षा से ही समाज में असल बदलाव लाया जा सकता है।
मलाला यूसुफजई खुद एक मिसाल हैं। उन्होंने सिर्फ 15 साल की उम्र में आतंकवाद के खिलाफ और शिक्षा के हक में अपनी आवाज बुलंद की थी। इसके लिए उन्हें गंभीर हमले का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी हिम्मत कभी नहीं टूटी। आज वो पूरी दुनिया में लड़कियों की शिक्षा की आवाज बन चुकी हैं।

जानिए कौन है मलाला यूसुफजई
मलाला यूसुफजई का नाम आज पूरी दुनिया में जाना जाता है, खासकर लड़कियों की शिक्षा के लिए उनकी आवाज उठाने के कारण। मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को पाकिस्तान के स्वात घाटी इलाके के मिंगोरा शहर में हुआ था। बचपन से ही वो पढ़ाई को लेकर बहुत जुनूनी थीं, लेकिन उनके इलाके में तालिबान का खौफ था, जो लड़कियों की पढ़ाई के सख्त खिलाफ था।
साल 2009 में मलाला पहली बार चर्चा में आईं जब उन्होंने बीबीसी के लिए एक गुप्त नाम से ब्लॉग लिखना शुरू किया।
उस ब्लॉग में उन्होंने अपनी जिंदगी की सच्चाई बताई, जिसमें स्कूलों को बंद करना, डर का माहौल और तालिबान की क्रूरता शामिल थी। वो निडर होकर तालिबान का विरोध करती रहीं। लेकिन उनके इस साहस ने उनकी जान को खतरे में डाल दिया। 9 अक्टूबर 2012 को जब मलाला स्कूल से लौट रही थीं, तब उन्हें सिर में गोली मार दी गई। उनके साथ दो और लड़कियां भी घायल हुईं।
हालत गंभीर थी, इसलिए उन्हें हेलीकॉप्टर से पेशावर ले जाया गया, जहां तीन घंटे की सर्जरी के बाद उनकी जान बचाई गई। बाद में इलाज के लिए उन्हें लंदन भेजा गया, जहां वो पूरी तरह ठीक हो गईं और अपनी पढ़ाई जारी रखी।

मलाला ने 2013 में अपने 16वें जन्मदिन पर संयुक्त राष्ट्र में एक दमदार भाषण दिया, जिसमें उन्होंने हर बच्चे के शिक्षा के अधिकार की बात की। इसके बाद 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वो सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता बनीं।
मलाला ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र में पढ़ाई पूरी की है। अपने पिता के साथ उन्होंने “मलाला फंड” की स्थापना की, जो दुनियाभर में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करता है। आज भी मलाला दुनिया के हर कोने में शिक्षा, शांति और समानता की आवाज बुलंद कर रही हैं।