हर साल 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद है लोगों को जूनोटिक बीमारियों के बारे में जागरूक करना यानी वो बीमारियां जो जानवरों से इंसानों में फैल सकती हैं। इस दिन दुनियाभर में इस बात पर फोकस किया जाता है कि ऐसे इंफेक्शन से कैसे बचा जाए और इसका इंसानों और जानवरों दोनों की हेल्थ पर क्या असर होता है।
साथ ही, अलग-अलग देशों के एक्सपर्ट्स और हेल्थ ऑर्गनाइजेशन मिलकर इस बात पर भी चर्चा करते हैं कि इन बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए ग्लोबल लेवल पर कैसे काम किया जा सकता है। जो लोग इस फील्ड में काम कर रहे हैं जैसे डॉक्टर, रिसर्चर और वेटरनरी एक्सपर्ट्स उनके लिए ये दिन खास मायने रखता है, क्योंकि यह उनके काम और योगदान को पहचान देने का मौका भी होता है।

जानिए क्या है जूनोसिस
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, वो बीमारियां जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं, उन्हें जूनोटिक डिजीज कहा जाता है। ये बीमारियां बहुत तेजी से फैल सकती हैं और आमतौर पर इंफेक्टेड जानवरों के संपर्क में आने से इंसान इनकी चपेट में आ जाते हैं। कई बार संक्रमित जानवर का दूध, मांस या पानी पीने से भी ये वायरस शरीर में पहुंच जाते हैं।
कुछ मामले तो ऐसे होते हैं जहां मच्छर या अन्य कीड़े इस संक्रमण को इंसानों तक पहुंचाने का जरिया बनते हैं। रेबीज, एविएन फ्लू (बर्ड फ्लू), इबोला वायरस और वेस्ट नाइल वायरस कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो जूनोसिस के तहत आते हैं। इनमें से कुछ बीमारियां जानलेवा भी हो सकती हैं, इसलिए इनसे बचाव और जागरूकता बेहद जरूरी है।

World Zoonoses Day का इतिहास
6 जुलाई साल 1885 को मशहूर फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारी के खिलाफ पहला सफल टीकाकरण किया था। यही वो दिन था जब जूनोटिक बीमारियों से लड़ने की दिशा में एक बड़ी शुरुआत हुई।
लुई पाश्चर का ये प्रयोग सिर्फ एक मेडिकल अचीवमेंट नहीं था, बल्कि इसने इंसान और जानवरों के बीच फैलने वाली बीमारियों को समझने और रोकने का रास्ता भी दिखाया। तभी से इस दिन को हर साल इस मकसद से मनाया जाता है कि लोगों में जागरूकता बढ़े और रिसर्च को बढ़ावा मिले।

विश्व जूनोसिस दिवस का महत्व
विश्व जूनोसिस दिवस हमारे लिए एक जरूरी दिन है जो याद दिलाता है कि इंसानों और जानवरों की सेहत आपस में कितनी जुड़ी हुई है। इस दिन का मकसद है लोगों को जूनोटिक बीमारियों के बारे में जागरूक करना यानी वो बीमारियां जो जानवरों से इंसानों में फैल सकती हैं।
अब कई लोग सोचते हैं कि ऐसे वायरस या बीमारियां सिर्फ दूर-दराज के इलाकों में फैलती हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी इनके खतरे मौजूद रहते हैं। खासकर जब हम पालतू जानवर रखते हैं या ऐसे इलाकों में रहते हैं जहां जानवरों और इंसानों का क्लोज कॉन्टैक्ट होता है।
इस दिन पर सिर्फ बीमारी के बारे में बात नहीं होती, बल्कि इस बात पर भी जोर दिया जाता है कि इंसानों, जानवरों और पर्यावरण इन तीनों के बीच बेहतर तालमेल कैसे बनाया जाए ताकि किसी भी तरह की महामारी से बचा जा सके। हेल्थ एक्सपर्ट्स, एनवायरमेंटलिस्ट्स और वेटरनरी डॉक्टर्स मिलकर प्लान बनाते हैं कि भविष्य में ऐसे संक्रमणों को कैसे रोका जाए।