International Day Against Drug Abuse

हर साल 26 जून को पूरी दुनिया में नशा निषेध दिवस यानी International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों को ये समझाना है कि नशा सिर्फ आपके शरीर को ही नहीं, आपकी जिंदगी को भी धीरे-धीरे खत्म कर सकता है।

आज कल के दौर में नशे की आदत बहुत तेजी से फैल रही है। चाहे शराब हो, ड्रग्स हों, गांजा या फिर हेरोइन ये चीजें शुरुआत में भले ही थोड़ी राहत या “अच्छा फील” कराएं, लेकिन धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला बना देती हैं। परेशानी की बात ये है कि अब सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि स्कूल-कॉलेज के बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं।

एक और बड़ी समस्या है इन ड्रग्स की अवैध तस्करी। कई देशों में ये एक बड़ा क्रिमिनल नेटवर्क बन चुका है, जिससे समाज और देश दोनों को नुकसान हो रहा है। इन्हीं सब चीजों पर रोक लगाने और लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी।

इस मौके पर स्कूलों, कॉलेजों, और कई सामाजिक संस्थाओं में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। लोग रैलियों, पोस्टर्स, और सेमिनार्स के जरिए ये मैसेज देने की कोशिश करते हैं कि नशा कोई स्टाइल या मज़ा नहीं, बल्कि एक धीमा जहर है।

International Day Against Drug Abuse का इतिहास

साल 1987 में 7 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक बेहद अहम फैसला लिया था। उन्होंने एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें दुनियाभर में बढ़ रही नशीली दवाओं के गलत इस्तेमाल और उनकी तस्करी को रोकने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाने की बात कही गई। यही वजह बनी “अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस” की शुरुआत की।

इस खास दिन को पहली बार 1989 में मनाया गया था और तब से लेकर हर साल 26 जून को दुनिया भर में इसे मनाया जाता है। इसका मकसद होता है लोगों को यह समझाना कि ड्रग्स सिर्फ शरीर ही नहीं, समाज को भी धीरे-धीरे बर्बाद कर देती हैं।
सरकारें, स्कूल, कॉलेज और कई सामाजिक संस्थाएं इस दिन अलग-अलग तरह के प्रोग्राम्स आयोजित करती हैं ताकि युवाओं को नशे के खतरों के बारे में बताया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का महत्व

नशा करने वाला इंसान सिर्फ अपनी सेहत से नहीं खेलता, बल्कि अपने पैसों, रिश्तों और करियर सब कुछ दांव पर लगा देता है। शुरुआत में लगता है कि ये थोड़ी देर का सुकून है, लेकिन धीरे-धीरे यही लत इंसान को अंदर से खोखला कर देती है।

कई लोग मज़े या ट्रेंड के नाम पर इसे आजमाते हैं, लेकिन जब ये आदत बन जाती है तो इससे निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही वजह है कि इस दिन का मकसद सिर्फ जागरूकता फैलाना नहीं है, बल्कि लोगों को सही वक्त पर सही फैसला लेने के लिए मोटिवेट करना भी है।

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